mishra

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21). विषय-: हम फिर से तेरी राह पर चलने लगे

21). विषय-: हम फिर से तेरी राह पर चलने लगे


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बढ़ती उम्र के साथ याराना निभाने लगे हम।
अपने पथ को छोड़ राह भटकने लगे हम।। 

मिले संस्कारों को त्याग,ज्ञान बाँटने लगे हम।
अहंकार से ग्रसित हो,दादागिरी दिखाने लगे हम।।

नतीजा आया जब सामने,शर्म सार हुए हम।
सुबह का भूला शाम को आ जाए तो वो हैं हम।।

 फिर तेरी राह पर चलना लगे हम।
जीवन में नव कुसुमित सुगंध फैलने लगे।। 


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आभा मिश्रा-कोटा राजस्थान 
(स्वरचित एवं मौलिक रचना सर्वाधिकार सुरक्षित©®)


# आधे अधूरे मिसरे/ प्रसिद्ध पंक्तियां 

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